Monday, July 6, 2015

राष्ट्रीय कार्यकारिणी

नोट : प्रत्येक प्रावधान के आगे संविधान की नियम संख्या लिखी हुई है।

33. सर्वोच्च गवर्निंग बॉडी अर्थात् राष्ट्रीय कार्यकारिणी : इस संगठन के संविधान के भाग-2 में गवर्निंग बॉडी में पदाधिकारियों की जो सूची दी गयी है, वह इस संगठन की सर्वोच्च गवर्निंग बॉडी और मैनेजिंग बॉडी अर्थात् संस्थापक राष्ट्रीय कार्यकारिणी/नेशनल गवर्निंग बॉडी है, जो इस संगठन के इस संविधान में यथास्थान निर्धारित प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समस्त अधिकार और कर्त्तव्यों का निर्वहन करेगी।

35. सूचना (गवर्निंग बॉडी की सूची) : इस संगठन की ‘नेशनल गवर्निंग बॉडी’ अर्थात् ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ के पदाधिकारियों की सूचना ‘रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज, दिल्ली को सोसायटीज् रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 की धारा-4 के अनुसार प्रतिवर्ष भेजनी होगी।

50. राष्ट्रीय कार्यकारिणी :
(1) इस संगठन के इस संविधान के भाग-2 में जिस गवर्निंग बॉडी को इस संगठन के प्रबन्धन और संचालन की जिम्मेदारी दी/सौंपी गयी है, वही इस संगठन की संस्थापक राष्ट्रीय कार्यकारिणी या नेशनल गवर्निंग बॉडी है। आगे भी इसे ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी कहा/माना जायेगा।
(2) राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय प्रमुख के नेतृत्व में इस संगठन के सम्पूर्ण अधिकार और कर्त्तव्यों का निर्वहन और निष्पादन करते हुए इस संगठन का संचालन और प्रबन्धन करने को अधिकृत और जिम्मेदार होगी।
(3) संस्थापक राष्ट्रीय प्रमुख या नियमानुसार निर्वाचित राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा राष्ट्रीय महासभा के किन्हीं योग्य, समर्पित, विश्‍वासपात्र एवं हर प्रकार से उपयुक्त सदस्यों में से या किन्हीं अन्य सदस्यों में से राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यथासमय आवश्यकतानुसार नियम-51 में वर्णित पदों पर या यथासमय राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा अन्य/नये सृजित पदों पर राष्ट्रीय पदाधिकारियों का मनोनयन/चयन (राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा) पूर्णत: स्वविवेकानुसार किया जायेगा।

51. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पद एवं पदाधिकारियों की नियुक्ति : इस संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यथासमय राष्ट्रीय पदाधिकारियों की संख्या और पदों के नामों का सृजन/निर्धारण/परिवर्तन/परिवर्द्धन कार्य, समय और परिस्थितियों की आवश्यकतानुसार राष्ट्रीय प्रमुख पूर्णत: स्वविवेकानुसार निर्धारित/निर्णीत करने को अधिद्भत होंगे। फिर भी राष्ट्रीय प्रमुख सहित सामान्यत: राष्ट्रीय कार्यकारिणी में निम्नानुसार पद/पदाधिकारी हो सकेंगे :-
(01) राष्ट्रीय प्रमुख-1
(02) राष्ट्रीय उप प्रमुख
(03) राष्ट्रीय सहायक प्रमुख
(04) राष्ट्रीय मुख्य महासचिव
(05) राष्ट्रीय महासचिव
(06) राष्ट्रीय अतिरिक्त महासचिव 
(07) राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष-1
(08) राष्ट्रीय उप कोषाध्यक्ष
(09) राष्ट्रीय सचिव
(10) राष्ट्रीय संगठन सचिव
(11) राष्ट्रीय प्रचार सचिव
(12) राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता
(13) राष्ट्रीय प्रवक्ता
(14) राष्ट्रीय उप प्रवक्ता
(15) राष्ट्रीय कार्यालय सचिव
(16) राष्ट्रीय उप कार्यालय सचिव
(17) राष्ट्रीय ऑडीटर
(18) राष्ट्रीय सब-ऑडीटर
(19) राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
(20) राष्ट्रीय सलाहकार
(21) विशेष आमन्त्रित सदस्य

52. राष्ट्रीय प्रमुख पद पर चयन/निर्वाचन हेतु अनिवार्य योग्यताएँ : इस संगठन की राष्ट्रीय महासभा (केवल-आजीवन संस्थापक सदस्यों, सहयोगी संस्थापक सदस्यों और प्रतिनिधि सदस्यों में से) का ऐसा कोई भी अविवादित और निष्पक्ष छवि का सदस्य ही राष्ट्रीय प्रमुख पद का प्रत्याशी हो सकेगा, जो-
(1) न्यूनतम 45 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो और न्यूनतम स्नातक तक शिक्षित हो।
(2) न्यूनतम 11 वर्ष तक लगातार किसी प्रान्तीय शाखा का अध्यक्ष या महासचिव रह चुका हो। या
(3) न्यूनतम 11 वर्ष तक लगातार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महासचिव या उपाध्यक्ष पद पर रह चुका हो। या
(4) इस संगठन का संस्थापक राष्ट्रीय प्रमुख हो। या
(5) पूर्व में राष्ट्रीय प्रमुख के पद पर विधिवत तरीके से चयनित/निर्वाचित होकर कार्य कर चुका हो। और
(6) ऐसे प्रत्याशी की राष्ट्रीय प्रमुख के पद की उम्मीदवारी आजीवन संस्थापक सदस्यों और सहयोगी संस्थापक सदस्यों की कुल संख्या के न्यूनतम दो तिहाई सदस्यों द्वारा निर्धारित प्रारूप में लिखित में प्रस्तावित हो।

53. राष्ट्रीय प्रमुख का निर्वाचन :
(1) राष्ट्रीय प्रमुख को राष्ट्रीय महासभा द्वारा सामान्यत: आमराय से चुना जायेगा, लेकिन एकाधिक योग्य प्रत्याशी होने पर राष्ट्रीय महासभा के कुल सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से निर्वाचित होने के बाद, न्यूनतम आधे से अधिक संस्थापक (आजीवन एवं सहयोगी) सदस्यों द्वारा अलग से राष्ट्रीय प्रमुख के निर्वाचन की पुष्टि की जायेगी। या
(2) राष्ट्रीय महासभा में किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में इस संगठन के कुल संस्थापक (आजीवन एवं सहयोगी) सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा ही राष्ट्रीय प्रमुख का निर्वाचन/चयन किया जा सकेगा।

54. राष्ट्रीय प्रमुख का कार्यकाल :
(1) निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार निर्वाचित राष्ट्रीय प्रमुख का अधिकतम कार्यकाल 5 वर्ष का होगा, लेकिन किसी भी कारण से इस संविधान में निर्धारित प्रक्रियानुसार, निर्धारित समय पर अगले राष्ट्रीय प्रमुख का निर्वाचन या चयन नहीं होने तक, पदस्थ/निवर्तमान राष्ट्रीय प्रमुख ही अपने पद पर विधिवत बने रह सकेंगे। और
(2) संस्थापक राष्ट्रीय प्रमुख का कार्यकाल इस संविधान के पंजीकरण की तारीख से अगले 5 वर्ष तक होगा।

55. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति :
(1) राष्ट्रीय प्रमुख, राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पदाधिकारियों के पदों की संख्या और पदों के नामों का निर्धारण करने और कार्य, समय तथा परिस्थितियों की जरूरत के अनुसार पूर्णत: स्वविवेकानुसार अन्य पदों पर सामान्यत: योग्य सदस्य उपलब्ध होने पर राष्ट्रीय महासभा के सदस्यों में से राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नियुक्ति करने को अधिद्भत होंगे।
(2) राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा नियुक्त सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी राष्ट्रीय प्रमुख की इच्छापर्यन्त पद पर बने रह सकेंगे। और
(3) संस्थापक राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों सहित, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारी राष्ट्रीय प्रमुख के प्रति उत्तरदायी होंगे और साथ ही साथ राष्ट्रीय प्रमुख के नेतृत्व में राष्ट्रीय महासभा के प्रति भी उत्तरदायी होंगे।

56. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अन्य पदाधिकारियों की पदमुक्ति/निलम्बन/बर्खास्तगी : राष्ट्रीय प्रमुख, संस्थापक राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों सहित, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के किसी भी पदाधिकारी/पदाधिकारियों से कभी भी बिना कोई कारण बताये त्याग पत्र मांगने और, या अपदस्थ या निलम्बित या बर्खास्त करने को अधिकृत होंगे। 

57. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अधिकार एवं कर्त्तव्य : राष्ट्रीय प्रमुख के नेतृत्व में राष्ट्रीय कार्यकारिणी निम्न लिखित अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन एवं निष्पादन करने को अधिकृत, जिम्मेदार और उत्तरदायी होगी :-
(1) इस संगठन का वार्षिक बजट बनाना और राष्ट्रीय महासभा से पारित करवाना।
(2) इस संगठन की चल-अचल सम्पत्ति की सुरक्षा करना।
(3) इस संगठन के प्रबन्धन, संचालन एवं अन्य सभी प्रकार की जरूरतों के लिए यथासमय स्थायी या अस्थायी (तात्कालिक जरूरत के अनुसार) वैतनिक और अवैतनिक कर्मचारियों/अधिकारियों की नियुक्ति, निलम्बन, पदमुक्ति करना एवं उनके पदनाम, वेतन, भत्ते, अधिकार, कर्त्तव्यों, सेवा-शर्तों आदि का निर्धारण करना।
(4) राष्ट्रीय महासभा के निर्णयों/प्रस्तावों का क्रियान्वयन करना एवं हर शाखा स्तर पर क्रियान्वयन करवाना।
(5) इस संगठन के उद्देश्यों, सिद्धान्तों, प्रस्तावों, निर्णयों के क्रियान्वयन और संविधान के संचालन, प्रबन्धन और व्यवस्था बनाने के लिए समय और आवश्यकता के अनुसार देशभर में इस संगठन के नियन्त्रण में राष्ट्रीय और अन्य सभी स्तरों पर आदिवासी, दलित, पिछड़ा, महिला, युवा, जनप्रतिनिधि, कर्मचारी, अधिकारी, सेवानिवृत कर्मचारी/ अधिकारी, लोक सेवक, कामगार, मजदूर, बौद्धिक, विद्यार्थी या अन्य प्रकार के वांछित प्रकोष्ठ, अन्वेषण/सतर्कता/सर्वेक्षेण आदि कार्यों के लिये विभाग या प्रभाग, शाखाएं, इकाईयॉं, समितियां, उप समितियां आदि बनाना/स्थापित करना और इनके संचालन तथा प्रबन्धन के लिए इस संविधान में बिना संशोधन किये अवश्यकतानुसार नियम/उपनियम बनाना/नियमों में कभी भी परिवर्तन/परिवर्द्धन/निरसन या कमी या बढ़ोतरी करना या नये नियम बनाना।
(6) इस संगठन के अधीन स्थापित समितियों/शाखाओं/प्रकोष्ठों/प्रभागों/विभागों आदि से या अन्य स्रोतों से प्राप्त रिपोर्टों की समीक्षा कर, उन पर निर्णय लेना और निर्णयों को लागू करना/करवाना।
(7) राष्ट्रीय महासभा की ओर से भेजे गये मामलों, विवादों और विषयों पर अन्तिम निर्णय लेना। और
(8) इस संगठन के इस संविधान के भाग-एक (ज्ञापन पत्र) के बिन्दु-4 में वर्णित समस्त उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की पूर्ति एवं प्राप्ति के लिये यथासमय जो भी जरूरी हो करना और नये उद्देश्यों, लक्ष्यों और सदस्यों के लिये नये मूल कर्त्तव्यों का निर्धारण करना या उनमें परिवर्तन/परिवर्द्धन करना/करवाना।

58. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के अधिकार एवं कर्त्तव्य : इस संगठन के सभी सदस्यों और सभी पदाधिकारियों को इस संगठन के संविधान एवं उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करना होगा एवं अपनी छवि तथा निजी जीवन में व्यक्तिगत आचरण को स्वच्छ बनाए रखना सभी का प्रथम कर्त्तव्य होगा। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रमुख पदाधिकारियों एवं सदस्यों के पृथक-पृथक अधिकार एवं कर्त्तव्य अग्रलिखिति प्रावधानुसार निर्धारित होंगे।

59. राष्ट्रीय प्रमुख (National Chief) :
(1) गठन, पुनर्गठन व विघटन : इस संविधान में अन्यत्र किसी भी बात/प्रावधान/उपबन्ध के होते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय महासभा, शाखाओं/इकाईयों की शाखा सभाओं/कार्यकारिणियों, प्रकोष्ठों, प्रभागों, विभागों, समितियों आदि का आवश्यक होने पर, किसी भी समय स्वविवेकानुसार गठन, पुनर्गठन एवं विघटन करना।
(2) निर्धारण : इस संविधान में किसी भी बात के होते हुए, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और शाखाओं की कार्यकारिणियों, शाखा सभाओं, समितियों, प्रकोष्ठों, प्रभागों, विभागों आदि के पदों का या अन्यत्र कहीं भी वांछित जरूरी पदों का सृजन, विसृजन, पदों की संख्या और पदाधिकारियों के अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्धारण करना।
(3) बैठकें आहूत करना : राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय महासभा और किसी भी शाखा की कार्यकारिणी और, या किसी भी शाखा सभा की पृथक-पृथक और, या संयुक्त रूप से कभी भी और कितनी भी बैठकें आहूत करना।
(4) अध्यक्षता एवं प्रतिनिधित्व : इस संगठन की राष्ट्रीय महासभा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय स्तर की आम सभाओं/कार्यक्रमों आदि की बैठकों की अध्यक्षता करना एवं का राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व और प्रतिनिधित्व करना।
(5) संविदा एवं दस्तावेजों पर हस्ताक्षर : इस संगठन की ओर से संविदा एवं अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना या इस हेतु अन्य किसी पदाधिकारी या सदस्य को पूर्णत: या आंशिक रूप से सशर्त/बिनाशर्त अधिकृत करना।
(6) सदस्यता, नियुक्ति, पदमुक्ति, निलम्बन, बर्खास्तगी एवं मनोनयन करना : इच्छुक आवेदकों को इस संगठन की किसी भी प्रकार की सदस्यता प्रदान करना या नहीं करना और राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय महासभा एवं सभी स्तर की शाखाओं, विभागों/अनुभागों में या अन्य किसी भी पद पर सीधे-सीधे स्वयं या स्वयं द्वारा अधिकृत किसी पदाधिकारी/प्रतिनिधि के माध्यम से पदाधिकारियों व सदस्यों की नियुक्ति, पदमुक्ति, निलम्बन, बर्खास्तगी एवं मनोनयन करना/नहीं करना या करवाना/नहीं करवाना।
(7) अन्तिम निर्णय : इस संगठन में किसी भी स्तर के अनुशासनिक मामलों/आन्तरिक विवादों/विषयों/मामलों या अन्तिम अपील पर अन्तिम निर्णय देना।
(8) सर्वोच्च आदेश : अति-आवश्यक होने पर इस संगठन के संविधान में संशोधन करने या संविधान को लागू करने या इस संगठन के हित में या किसी अन्य प्रयोजन के लिए राष्ट्रीय महासभा के अधिकारों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च आदेश पारित कर उसे निर्धारित समय के लिए लागू करना व लागू करवाना।
(9) त्याग पत्र मांगना/स्वीकार/अस्वीकार करना : सभी प्रकार के सदस्यों व पदाधिकारियों से जरूरत होने पर, सीधे- सीधे त्यागपत्र मांगना और, या सदस्यों एवं पदाधिकारियों के त्याग-पत्र सीधे-सीधे स्वीकार या अस्वीकार करना।
(10) इस संगठन के अधीन शाखाओं/इकाईयों को सम्बद्धता व मान्यता प्रदान करना/नहीं करना और उनकी स्थापना/गठन/विघ टन/निलम्बित करना या नहीं करना : इस संगठन के नियन्त्रण में, इस संगठन के कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत में कहीं भी, इस संगठन के अधीन किसी भी स्तर की इकाईयों या शाखाओं, उप शाखाओं, समितियों, उप समितियों, विशिष्ट प्रकोष्ठों/विभागों/अनुभागों इत्यादि की स्थापना/गठन/विघटन करना या नहीं करना और इन्हें कभी भी सकारण या बिना कारण बताये भंग या विघटित या निलम्बित करना।
(11) पुष्टि : राष्ट्रीय कार्यकारिणी और, या राष्ट्रीय महासभा के निर्णयों की पुष्टि करना या पुष्टि करने से इनकार करना।
(12) खातों का संचालन : कोषाध्यक्ष और उप कोषाध्यक्ष में से किसी एक के साथ इस संगठन के नाम से किसी बैंक या बैंको/पोस्ट ऑफिस/ऑफिसों में खाते/खातों का संचालन कर लेन-देन करना।
(13) शाखा व इकाईयों के खातों का सीधा संचालन और, या संचालन की अनुमति : राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा स्वयं या राष्ट्रीय प्रमुख की ओर से अधिकृत किसी पदाधिकारी या प्रतिनिधि के माध्यम से इस संगठन की शाखाओं को किसी बैंक/पोस्ट ऑफिस विशेष में खाता खोलने और, या संचालित करने के लिए पदाधिकारियों के नमूना हस्ताक्षर प्रमाणित कर, उन्हें अधिकृत करना और शाखाओं के खाता संचालित करने वाले पदाधिकारियों के पदनामों या पदों की संख्या का स्वविवेकानुसार निर्धारण या परिवर्तन करना, उनको अनुमोदित करना या सीधे सम्बन्धित बैंक या पोस्ट ऑफिस को खाते/खातों के संचालन को भविष्य में जारी रखने या रोकने के लिए सूचित करना या शाखा सम्बद्धता अवधि समाप्त हो जाने आदि विशेष/आपात परिस्थितियों में स्वयं अपने (अकेले राष्ट्रीय प्रमुख के) हस्ताक्षर से ही शाखाओं के खातों का संचालन कर लेन-देन करना या नहीं करना।
(14) काउंसलर्स की नियुक्ति : इस संगठन के योग्य, सक्षम व प्रतिष्ठित या विषय विशेषज्ञ सदस्यों या समाज के योग्य लोगों में से राष्ट्रीय महासभा में एवं इस संगठन की शाखाओं की सभाओं की बैठकों में भाग लेने के लिए शाखाओं की सिफारिश पर और, या स्वविवेकानुसार उचित संख्या में काउंसलर्स की नियुक्ति करना।
(15) इस संगठन के संविधान और सम्पत्ति की सुरक्षा सुनिश्‍चित करना और करवाना।
(16) इस संगठन के संगठनात्मक ढांचो को मजबूत बनाने के लिये जो भी जरूरी हो कार्य करना एवं करवाना।
(17) कोष/बिल स्वीकृत/अस्वीकृत करना एवं शाखाओं के खातों के संचालन के आदेश जारी करना।
(18) संरक्षण : सामाजिक, धार्मिक या अन्य भेदभाव, मनमानी, उत्पीड़न, छुआछूत, भ्रष्टाचार, अत्याचार, असमानता, शोषण, गैर-बराबरी, वैमनस्यता आदि से समस्त सदस्यों, सदस्यों के परिजनों/आम लोगों को कानूनी संरक्षण व शीघ्र न्याय दिलाने के लिए इस संगठन के उद्देश्यों व नियमों के अनुसार उचित कार्यवाही करना व करवाना।
(19) आयोजन और पुरस्कार : सदस्यों और सम्बन्धित लोगों को उनके आपसी विचारों, अनुभवों, विविध प्रकार के ज्ञान आदि से लाभान्वित करवाने और, या भ्रष्टाचार, अत्याचार, भेदभाव, असमानता आदि अनैतिक या विधि-विरुद्ध कुद्भत्यों से मुक्त आदर्श समाज का निर्माण करने हेतु सभाओं, नाटकों, जनसुनवाईयों, जन अदालतों, सम्मेलनों, जन संसद, जन विधानसभा, कैम्पों, सेमिनारों, प्रशिक्षणों, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं, सांस्द्भतिक कार्यक्रमों आदि का स्थान-स्थान पर, आयोजन करना, समाचार/वैचारिक पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें, स्मारिकाएँ/पोस्टर/पेम्पलेट आदि प्रकाशित/प्रसारित/प्रचारित करना/करवाना और, या विशिष्ट सदस्यों और, या आम लोगों के सम्मान एवं प्रोत्साहन के लिए प्रमाण-पत्र, पुरस्कार, ट्रॉफी, प्रशस्ति-पत्र, सम्मान-पत्र, पारितोषिक आदि प्रदान करना व करवाना।
(20) अन्य संगठनों से/को सम्बद्धता : इस संगठन की ओर से इस संगठन की जैसी समान विचारधारा या मिलती-जुलती विचारधारा के अन्य संगठनों से सम्बद्ध होने या समान या मिलती-जुलती विचारधारा के अन्य संगठनों को सम्बद्धता प्रदान करने का या संधि करने या उनका इस संगठन में विलय करने का निर्णय लेना और इस सब के लिये नियम, नीति, प्रक्रिया आदि बनाकर उसे लागू करना व करवाना।
(21) इस संगठन के कार्यालय के पत्र-व्यवहार, आय-व्यय आदि से सम्बन्धित अभिलेख, कार्यालय संसाधनों आदि के सम्पूर्ण विवरण/सामग्री को अद्यतन बनाकर/बनावाकर रखना और इस संगठन के उद्देश्यों के अनुरूप सामान्य पत्र-व्यवहार करना/करवाना, प्रेस विज्ञप्ति जारी करना/करवाना, पे्रस वार्ता/कॉंफ्रेंस/सभा/ कार्यशाला आदि को सम्बोधित करना/करवाना आदि। और
(22) अन्य : उन समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन व निष्पादन करना जो इस संविधान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए या राष्ट्रीय प्रमुख के लिये या इस संगठन के नाम से अन्यत्र कहीं भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वर्णित हैं और, या जो इस संविधान में अन्य किसी को निर्धारित या आवण्टित या वर्णित नहीं किये गये हैं।

60. राष्ट्रीय उप प्रमुख (National Deputy Chief) :
(1) तीन माह तक कार्यवाहक प्रमुख : राष्ट्रीय प्रमुख की स्थायी या लम्बी अनुपस्थिति में राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा नामित राष्ट्रीय उप प्रमुख द्वारा इस संगठन के कार्यवाहक राष्ट्रीय प्रमुख के रूप में राष्ट्रीय प्रमुख पद के लिये निर्धारित सामान्य और अत्यावश्यक अधिकार एवं कर्त्तव्यों का अधिकतम तीन माह तक निर्वहन करना।
(2) राष्ट्रीय प्रमुख के कार्यों में सहयोग : राष्ट्रीय प्रमुख की उपस्थिति में राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में मांगे जाने पर और बिना मांगे जरूरी सहयोग एवं परामर्श देते रहना।

61. राष्ट्रीय सहायक प्रमुख (National Assistant Chief) : राष्ट्रीय उप प्रमुख की अनुपस्थिति में उनके अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना और राष्ट्रीय प्रमुख एवं उच्च पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित कार्यों का निर्वहन करना।

62. राष्ट्रीय मुख्य/वरिष्ठतम महासचिव (National Chief/Senior Most General Secretary) :
(1) इस संगठन के कार्यालय के पत्र-व्यवहार सम्बन्धी अभिलेख, कार्यालय संसाधनों आदि का सम्पूर्ण विवरण अद्यतन बनाकर रखना और इस संगठन के उद्देश्यों के अनुरूप सामान्य पत्र-व्यवहार करना, प्रेस विज्ञप्ति जारी करना, प्रेस कॉँफ्रेंस करना/करवाना आदि।
(2) अतिरिक्त महासचिव और सचिवों के सहयोग से इस संगठन की प्रगति का वार्षिक विवरण तैयार कर, राष्ट्रीय प्रमुख और राष्ट्रीय महासभा में विचारार्थ प्रस्तुत करना और राष्ट्रीय महासभा की बैठकों, के दौरान, राष्ट्रीय महासभा के सदस्यों के प्रश्‍नों व पूरक प्रश्‍नों के उत्तर देना।
(3) राष्ट्रीय प्रमुख के दिशा-निर्देशानुसार इस संगठन का नेतृत्व करना और इस संगठन के वैतनिक/अवैतनिक अधिकारियों और कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों पर नियन्त्रण बनाए रखते हुए, राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं शाखा पदाधिकारियों का मार्गदर्शन करना/करवाना।
(4) इस संगठन के संगठनात्मक स्तर को सुदृढ़ करने हेतु निम्न स्तरीय शाखाओं एवं इकाईयों का गठन कराने, चुनाव पर्यवेक्षण करने, सदस्य संख्या और शाखाओं की संख्या में वृद्धि करने के लिए जरूरी कार्य करना/करवाना। और
(5) राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना और राष्ट्रीय प्रमुख और उच्च पदाधिकारियों द्वारा निर्देशित/निर्धारित कार्यों का निर्वहन करना।

63. राष्ट्रीय अतिरिक्त महासचिव (National Additional General Secretary) : राष्ट्रीय मुख़्य महासचिव की अनुपस्थिति में उनके अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना और राष्ट्रीय प्रमुख एवं उच्च पदाधिकारियों द्वारा निर्देशित/निर्धारित कार्यों का निर्वहन करना।

64. राष्ट्रीय सचिव (National Secretary) : राष्ट्रीय अतिरिक्त महासचिव की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय प्रमुख के निर्देशानुसार राष्ट्रीय अतिरिक्त महासचिव के अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना और राष्ट्रीय प्रमुख के निर्देशानुसार, उच्च पदाधिकारियों द्वारा निर्देशित/निर्धारित कार्यों का निर्वहन करना।

65. राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष (National Treasurer) :
(1) इस संगठन के आय-व्यय के लेखे-जोखे का विवरण अद्यतन बनाकर रखना/प्रस्तुत करना और राष्ट्रीय कार्यकारिणी या राष्ट्रीय महासभा की बैठकों के दौरान आय-व्यय सम्बन्धी प्रश्‍नों व पूरक प्रश्‍नों के जवाब स्वयं और, या राष्ट्रीय उप कोषाध्यक्ष के माध्यम/सहयोग से देना।
(2) बजट तैयार करना और बजट को राष्ट्रीय कार्यकारिणी और, या राष्ट्रीय महासभा से पारित करवाना।
(3) इस संगठन के लिये समस्त प्रकार के चन्दे, शुल्क, दान, अनुदान, उपहार, भेंट, सहायता आदि स्वीकार कर, इन्हें यथास्थान रिकार्ड पर इन्द्राज करना और, या इनकी प्राप्ति/पावती की रसीद देना।
(4) इस संगठन के सभी प्रकार के खर्चे के बिलों का रसीद लेकर भुगतान करना/करवाना।
(5) राष्ट्रीय उच्च पदाधिकारियों और राष्ट्रीय ऑडीटर/सब ऑडीटर द्वारा मांगे जाने पर इस संगठन के आय-व्यय से सम्बन्धित समस्त बिल, वाउचर, रसीद, कैश-बुक, लेजर आदि को निरीक्षण हेतु प्रस्तुत करना।
(6) इस संगठन के आकस्मिक कार्यों की पूर्ति हेतु राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित एवं स्वीद्भत न्यूनतम नगद राशि अपनी निजी अभिरक्षा में रखना।
(7) राष्ट्रीय प्रमुख के साथ इस संगठन के खाते/खातों का संचालन करना। और
(8) राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्योंं का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना।

66. राष्ट्रीय उप कोषाध्यक्ष (National Sub-Treasurer) : राष्ट्रीय प्रमुख के साथ इस संगठन के खाते का संचालन करना तथा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के सहयोगी के रूप में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के लिए निर्धारित अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना, साथ ही राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्योंं का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख और उच्च पदाधिकारियों को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना।

67. राष्ट्रीय ऑडीटर/सब ऑडीटर : इस संगठन आय के लेखे-जोखे सहित शाखाओं के वार्षिक लेखे-जोखे की समय-समय पर या आकस्मिक ऑडिट करना और ऑडिट के दौरान जानकारी में आयी सभी प्रकार की त्रुटियों, भूलों, अनियमितताओं आदि को रिकार्ड पर लाकर सुधार की कार्यवाही करना/करवाना तथा जिम्मेदार पदाधिकारियों और, या सदस्यों के विरुद्ध जरूरी सुधारात्मक या अनुशासनिक कार्यवाही की अनुशंसा सहित अपना प्रतिवेदन राष्ट्रीय प्रमुख को प्रस्तुत करना और राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना।

68. राष्ट्रीय कार्यालय सचिव एवं उप कार्यालय सचिव : इस संगठन का समस्त प्रकार का रिकार्ड, दैनिक पत्र व्यवहार, कार्यालय, कार्यालय की सामग्री आदि को व्यवस्थित एवं सुरक्षित रखना एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों की जानकारी में लाना और राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना।

69. राष्ट्रीय संगठन सचिव एवं अतिरिक्त/संगठन सचिव : इस संगठन के संगठनात्मक स्तर को मजबूत करने, निम्न स्तरीय शाखाओं का गठन करवाने, चुनाव पर्यवेक्षण करने, शाखा व सदस्य संख्या में विस्तार करने के साथ-साथ वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित व निर्देशित अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना और उनके कार्यों में सहयोग करते हुए, उन्हें समय-समय पर जरूरी व समुचित परामर्श देते रहना और राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना।

70. राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता/प्रवक्ता/उप प्रवक्ता : इस संगठन की गतिविधियों के सम्बन्ध में प्रेस-विज्ञप्ति  या बयान जारी करना तथा मीडिया से मधुर व सकारात्मक सम्बन्ध कायम रखना, इसके अतिरिक्त इस संगठन के उद्देश्यों के अनुरूप मीडिया की खबरों को संकलित कर आवश्यक कार्यवाही हेतु वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना। वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारियों द्वारा निर्देशित कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए, उन्हें जरूरी सहयोग एवं परामर्श देते रहना और राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना।

71. राष्ट्रीय प्रचार सचिव : इस संगठन के प्रचार-प्रसार के लिए जो भी जरूरी हो वह करना व राष्ट्रीय संगठन सचिवों के साथ आपसी तालमेल कायम रखना और राष्ट्रीय प्रमुख एवं वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारियों द्वारा निर्देशित कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए, उन्हें जरूरी सहयोग एवं परामर्श देते रहना।

72. राष्ट्रीय विधि सलाहकार : कानूनी मामलों में मांगे जाने पर या स्वयमेव जरूरी कानूनी सलाह देते रहना।

73. राष्ट्रीय काउंसलर्स/सलाहकार : राष्ट्रीय महासभा की बैठकों में एवं हक रक्षक दल की शाखा सभाओं की बैठकों, आयोजनों आदि में उपस्थित रहकर सदस्यों को इस संगठन के प्रचार, प्रसार, विकास, विस्तार या किसी समसामयिक या अन्य महत्व के विषय पर महत्वपूर्ण राय देना एवं इस संगठन को सक्षम बनाने के लिए हर प्रकार का सहयोग/कार्य करना/करवाना और राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए, उनके सभी कार्यों में सहयोग एवं परामर्श देते रहना।

74. सदस्य राष्ट्रीय महासभा (आजीवन/सहयोगी संस्थापक सदस्य एवं प्रतिनिधि सदस्य) :
(1) राष्ट्रीय महासभा की बैठकों में भाग लेकर अपने सभी अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना।
(2) राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना। और
(3) आजीवन प्राथमिक सदस्य बनवाना एवं अन्यत्र वर्णित अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का पालन करना/करवाना।

75. वरिष्ठ सदस्य :
(1) प्रान्तीय शाखासभा की बैठकों में भाग लेकर, अपने अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना।
(2) राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख तथा प्रान्तीय अध्यक्ष को उनके सभी कार्यों में सहयोग एवं परामर्श देते रहना। और
(3) आजीवन प्राथमिक सदस्य बनवाना एवं अन्यत्र वर्णित अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का पालन करना/करवाना।

76. सक्रिय सदस्य :
(1) ब्लॉक/जिला शाखासभा की बैठकों में भाग लेकर अपने अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना।
(2) राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा निर्धारित और, या निर्देशित अन्य समस्त अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रीय प्रमुख, उच्च पदाधिकारियों और शाखा अध्यक्षों को उनके सभी कार्यों में सहयोग व परामर्श देते रहना। और
(3) आजीवन प्राथमिक सदस्य बनवाना एवं अन्यत्र वर्णित अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का पालन करना/करवाना।

77. आजीवन प्राथमिक सदस्य :
(1) राष्ट्रीय प्रमुख और, या वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित एवं निर्देशित अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हुए, राष्ट्रीय प्रमुख, उच्च पदाधिकारियों एवं शाखा अध्यक्षों को उनके सभी कार्यों में सहयोग तथा परामर्श देते रहना और ‘हक रक्षक दल’ के उद्देश्यों तथा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सतत कार्य करना/करवाना। और
(2) आजीवन प्राथमिक सदस्य बनवाना एवं अन्यत्र वर्णित अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का पालन करना/करवाना।

78. अन्य : राष्ट्रीय प्रमुख स्वविवेकानुसार तथा समय, स्थान एवं परिस्थितियों की आवश्यकतानुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उक्त सभी प्रकार के पदों का एवं अन्य पदों के नामों व उनकी संख्या का सृजन, परिवर्तन व निर्धारण कर, उनके अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्धारण, पुन: निर्धारण और विभाजन कर सकेंगे या करवा सकेंगे। तद्नुरूप ही ऐसे पदाधिकारियों को अपने अधिकार एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन करना होगा।


79. राष्ट्रीय प्रमुख के विवेकाधिकार :
(1) राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन/विघटन/परिवर्तन/निलम्बन/बर्खास्तगी करना।
(2) राष्ट्रीय कार्यकारिणी, शाखा कार्यकारिणियों, प्रकोष्ठों आदि के नये/पुराने पदों का सृजन/विसृजन, पदों की संख्या और नये/पुराने पदों के नामों का निर्धारण/पुर्निधारण/परिवर्तन करना।
(3) इस संगठन की इकाईयों/शाखा अध्यक्षों/प्रभारियों/पदाधिकारियों की नियुक्ति और पदमुक्ति करना।
(4) अन्तिम अपीलीय अधिकारों का स्वविवेकानुसार उपयोग करना।
(5) इस संगठन की मूल भावना के विरुद्ध राष्ट्रीय महासभा में प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देना।
(6) इस संगठन के कोष से कितनी भी राशि स्वीकृति एवं खर्च करने की अनुमति प्रदान करना।
(7) इस संगठन की किसी भी इकाई या विशेष कारणों से इस संगठन के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य के हितार्थ या किसी विशेष आयोजन हेतु इस संगठन के कोष से समुचित राशि स्वीकृत कर, आवण्टित करना।
(8) इस संगठन के हित में और सदस्यों के सभी वर्गों के जनजागरण, प्रगति, उन्नति, उत्थान आदि के लिये उत्द्भष्ट कार्य करने वाले सदस्यों/लोगों को पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र, सम्मान, ट्रॉफी आदि प्रदान करना/करवाना।
(9) इस संगठन की गतिविधियों को संचालित करने हेतु कुछ विशिष्ट सदस्यों या पदाधिकारियों को इस संगठन के खर्चे पर या सरकारी अनुदान पर कार्य करने हेतु वेतन पर रखना और उनसे कार्य करवाना।
(10) शाखा प्रभारियों द्वारा शाखाओं के पदाधिकारियों के सम्बन्ध में प्रस्तुत रिपोर्ट पर कार्यवाही करना।
(11) अत्यावश्यक होने पर किसी भी स्तर पर तुरन्त अनुशासनिक कार्यवाही करना/करवाना।
(12) अवधिपार अपील पेश करने सहित, किसी भी मामले या विषय पर विलम्ब को क्षम्य करने का अधिकार। और
(13) अन्य-इस संगठन के हित में जिन भी अधिकारों का उपयोग करना अत्यावश्यक हो।

80. सर्वोच्च आदेश जारी करने का अधिकार :
(1) इस संगठन के हित में समय, परिस्थिति और आवश्यकता के अनुसार इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीय महासभा के सभी अधिकारों का उपयोग करते हुए, कोई भी निर्णय या आदेश राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा स्वविवेक से या राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सलाह से जारी करके लागू/क्रियान्वित किया जा सकेगा। ऐसा आदेश सर्वोच्च आदेश कहलायेगा, लेकिन ऐसा कोई भी आदेश एक समय में अधिकतम छ: माह के लिये ही जारी किया जा सकेगा।
(2) सर्वोच्च आदेश का अगले 6 माह में राष्ट्रीय महासभा में अनुमोदन करवाना होगा। अन्यथा अगले छ: माह के लिये राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिखित सलाह पर राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा फिर से सर्वोच्च आदेश को जारी करना होगा।
(3) यदि एक वर्ष में सर्वोच्च आदेश का राष्ट्रीय महासभा द्वारा अनुमोदन नहीं किया जाता है, तो एक वर्ष के बाद ऐसा सर्वोच्च आदेश स्वत: ही निष्प्रभावी हो जायेगा। लेकिन सर्वोच्च आदेश जिस अवधि के लिये प्रभावी रहा, उस दौरान उस सर्वोच्च आदेश के तहत लिये गये निर्णय या किये गये कार्य भविष्य में भी पूरी तरह से संवैधानिक माने जायेंगे।

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