Friday, July 10, 2015

संशोधन

नोट : प्रत्येक प्रावधान के आगे संविधान की नियम संख्या लिखी हुई है।

37. संविधान में संशोधन :
(1) ऐसा कोई भी संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन/निरसन ही जो इस संगठन के इस संविधान के मूल स्वरूप को नष्ट करने वाला नहीं हो और जो सोसायटीज् रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा-12 के अनुरूप हो, ही सम्भव हो सकेगा।

(2) इस संगठन की नेशनल गवर्निंग बॉडी अर्थात् राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा सर्व-सम्मति से या दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव को इस संगठन की राष्ट्रीय महासभा के सर्व-सम्मत या दो तिहाई बहुमत द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पारित किये जाने पर ही इस संगठन के मूल संविधान में (अन्यथा स्वीकार्य) संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन या निरसन किया जा सकेगा।
(3) इस संगठन के संविधान में ऐसे किसी भी संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन या निरसन को पारित किये जाने के बाद उसकी लिखित पुष्टि राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा किया जाना अनिवार्य होगा।
(4) उपरोक्तानुसार संविधान संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन या निरसन के प्रस्ताव की इस संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख द्वारा पुष्टि होते ही ऐसा संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन या निरसन इस संगठन के इस संविधान का हिस्सा माना जायेगा और मूल संविधान की तरह से सर्व-सम्बन्धित के लिये मान्य एवं स्वीकार्य होगा। और
(5) राष्ट्रीय प्रमुख ऐसे किसी संशोधन की पुष्टि करने से मना कर सकेंगे, जो इस संगठन के इस संविधान के मूल स्वरूप (मूल भावना) के ही विपरीत हो और इस संगठन के संविधान की मूल भावना को नष्ट करने वाला हो और इस मामले में इस संविधान के इस भाग के नियम-45 (9) (ग) के प्रावधान लागू नहीं होंगे।

38. संविधान के मूल स्वरूप के विपरीत संशोधन निषिद्ध : साधारणतया इस संगठन के इस संविधान में निम्न प्रकार के संशोधन किया जाना, इस संगठन के मूल स्वरूप/मूल भावना के विपरीत माने जायेंगे :-

(1) राष्ट्रीय प्रमुख के चुनाव की प्रक्रिया व राष्ट्रीय प्रमुख के अधिकारों और कार्यकाल में कमी करने वाला संशोधन।
(2) राष्ट्रीय महासभा में सदस्यता प्राप्ति के प्रावधानों में शिथिलता प्रदान करने वाला संशोधन।
(3) राष्ट्रीय प्रमुख को महाअभियोग द्वारा हटाने की प्रक्रिया को सरल बनाने वाला संशोधन।
(4) इस संगठन के संविधान के प्रावधानों में संशोधन की प्रक्रिया को सरल बनाने वाला संशोधन।
(5) इस संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख और आजीवन व सहयोगी संस्थापक सदस्यों के अधिकारों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कमी करने वाला या उनके मत के अधिकार व महत्व को कम या समाप्त करने वाला संशोधन।
(6) सहयोगी संस्थापक सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव या परिवर्तन करने वाला संशोधन। और
(7) उक्त नियम-37 एवं 38 के किसी भी उप नियम के प्रावधानों को कमजोर बनाने वाला संशोधन।

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